उत्तराखंड / देहरादून/ डोईवाला: उत्तराखंड के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी एवं वर्तमान में डोईवाला शुगर मिल के अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ने डोईवाला शुगर मिल जिसे लोग जर्जर वह बूढी हो चुकी मिल कहा करते थे। उसे एक कुशल शिल्पी की तरह ऐसा संवारा की यह मिल 90 के दशक में नयी मिल के आंकड़ों को भी ध्वस्त कर चुकी है। डोईवाला में पूर्व में निदेशक व यहां पर अपरसचिव रहकर इस मिल का संचालन कर वाहवाही लूटने वाले विनोद शर्मा के कार्यकाल के आंकड़ों को भी वर्तमान अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ने पिछले दो पेराई सत्र में ही ध्वस्त कर दिया है। जबकि वर्तमान पेरायी सत्र इस मिल का नया इतिहास लिखने जा रहा है। इससे जहां मिल को लाभ हुआ है तो वहीं सरकार को शुगर मिल पर बढ़ रहे घाटे में भी कमी आई है। वहीं किसानों और मजदूरों के लिए भी यह लाभकारी बना है।
वहीं शुगर मिल की तरक्की से स्थानीय व्यापारियों को भी लाभ मिला है।
गढ़वाल की एकमात्र सहकारी मिल डोईवाला शुगर मिल में दिनेश प्रताप सिंह के आने के बाद से तमाम बदलाव व अनुशासन का ही नतीजा है कि यह मिल आज प्रदेश की सर्वोत्तम मिल में शुमार है और प्रदेश के साथ ही पड़ोसी प्रदेश के भी किसान इस शुगर मिल में अपना गन्ना आपूर्ति करने को लेकर प्रयासरत रहते है। वही मिल में जहां रिकवरी बेहतर हुई है। तो मिल कम समय में अधिक गन्ने की पेरायी कर रही है। वहीं चीनी की गुणवत्ता भी राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर मानी गई है। तो चीनी का उत्पादन भी बढ़ा है। यह सब अधिशासी निदेशक की मेहनत कार्य कुशलता व लगन का ही नतीजा है की मिल ऐसे इतिहास रच रही है जिसे तोड़ना आगे किसी अन्य अधिकारी के लिए आसान नहीं होगा।
किसान एकता मंच के प्रदेश महामंत्री दरपान बोरा व भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह खालसा ने कहा कि वर्तमान अधिशासी निदेशक ने शुगर मिल में नए कीर्तिमान स्थापित कर जहां इस मिल को बचाया है तो वहीं किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि 37 करोड रुपए से अधिक का भुगतान मिल ने अपने स्तर से कर कर किसानों को एक बड़ी राहत दी है।
वही शुगर मिल के अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार ने जो उन पर भरोसा जताकर जिम्मेदारी सौंपी थी उस जिम्मेदारी को कर्मचारीयो व किसानों के सहयोग से ही वह इस मुकाम को पा सके है। आगे भी इसी सहयोग के बूते इस शुगर मिल के सर्वांगीण विकास के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहेंगे।