देहरादून/ डोईवाला: उत्तराखंड के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह के विरुद्ध आखिर कौन साजिश रच रहा है। डोईवाला की जर्जर हो चुकी शुगर मिल का कायाकल्प कर सरकार के करोडो रूपए बचाने वाले कर्मठ अधिकारी के खिलाफ आखिर कौन साजिश रच रहा है। वर्तमान में NH 74 मामले में प्रसारित की जा रही खबरों पर वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह के हाईकोर्ट के अधिवक्ता अजय वर्मा के द्वारा अवगत कराया गया कि डी पी सिंह को शासन द्वारा एन एच74 के कथित घोटाले में दी गई क्लीन चिट को न्यायालय द्वारा निरस्त करने की भ्रामक खबरे फैलायी जा रही है जबकि मामला कुछ अलग है।
1- स्पेशल जज ने जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उत्तराखंड शासन का प्रतिनिधित्व करते हुए मा• न्यायालय मे प्रस्तुत प्रार्थनापत्र को डी पी सिंह के अधिवक्ता को उपलब्ध ना कराकर कोई आदेश करना नैर्सगिक न्याय की परिकल्पना के विरुद्ध है।
2- स्पेशल जज की पत्रावली पर शासन द्वारा डी पी सिंह की विभागीय कार्रवाई की जाँच आख्या एवम क्लीन चिट सम्बन्धी आदेश नही थे इसके बावजूद जांच आख्या पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर अपने मन्तव्य आदेश मे व्यक्त करना निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया की भावना के विपरीत है । जब क्लीन चिट संबंधी आदेश न्यायालय में पत्रावलित ही नहीं है तो आदेश के ख़ारिज होने का प्रश्न ही नहीं उठता ।
3-शासन की जाँच मे आये तथ्यो से पता चला है कि धारा 143 UP ZALR act के प्रकरण मे कथित बैक डेटिंग डी पी सिंह की विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के तैनाती से पूर्व की है और सिंह के द्वारा 500 करोड रु के प्रकरण टर्न डाउन किए गए।
4-घोटाला रोकने और सरकारी खजाने की बन्दरबाट रोकने वाले अधिकारी को फंसाने के पीछे आखिर कौन है।
5-राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 एवम भूमि अर्जन अधिनियम-30/3013 के अनुसार अधिग्रहण की गई भूमि का प्रतिकर बाजार दर से 1700 करोड रु कम निर्धारित करने पर भी सिंह को कथित एन एच 74 घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया जाना साजिश की ओर इशारा करता है
6-एस आई टी को एफ़ आई आर दर्ज करने से लेकर चार्ज शीट दाखिल करने तक यही नहीं पता था कि प्रतिकार निर्धारण करने के मानक क्या है ?
7- एफ़ आई आर १० मार्च २०१७ को दर्ज करायी गई और डी पी सिंह के विरुद्ध चार्जशीट ३१ जनवरी २०१८ को लगायी गयी।