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प्रभु सिमरन से कटेंगे माया रुपी बंधन-इंद्रजीत शर्मा

भारत गुप्ता की रिपोर्ट:-

ऋषिकेश : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं राजपिता रमित जी के आशीर्वाद से संत निरंकारी सत्संग भवन ऋषिकेश में विशाल समागम का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली से आए केंद्रीय ज्ञान प्रचारक महात्मा इंद्रजीत शर्मा ने सद्गुगुरु का आशीर्वाद प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि सिमरन करने से ही यह मन परमात्मा से जुड़ जाता है अन्यथा इंसान माया रुपी बंधनों में ही फंसा रहता है और परमात्मा को भूल जाता है। इंसान को निरंतर इस प्रभु परमात्मा का सिमरन करते रहना चाहिए, सिमरन से ही इंसान बंधनों से मुक्त होकर भक्ति को प्राप्त कर सकता है।

उन्होंने कहा की परमात्मा तीन काल सत्य है और यह संसार मिथ्या है लेकिन लेकिन हम संसार को ही सत्य मान बैठे हैं सिमरन करने से ही यह संसार मिथ्या और परमात्मा सत्य नजर आने लगता है। इंसान इस मिथ्या संसार में ही से ही प्रेम करता है परमात्मा से व्यवहार करता है।

महात्मा सिद्धार्थ का उदाहरण देते हुए समझाया कि मोक्ष शरीर को नहीं आत्मा को होता है शरीर तो माध्यम है जब आत्मा का नाता परमात्मा से जुड़ जाता है तो मोक्ष की प्राप्ति संभव हो जाती है। संसार में सत्य की जानकारी केवल सद्गुगुरु ही करवा सकता है।


कहां की एको ब्रह्म द्वितीतो ना अस्ति इस चराचर जगत में परमात्मा का ही अंश सबमें विद्यमान है दूसरा कोई है ही नहीं सब एक ही है इस बात की जानकारी सतगुरु ज्ञान के द्वारा करवाते है फिर सारे भ्रम, उच्च नीच का भेदभाव समाप्त हो जाता है कोई छोटा कोई बड़ा नहीं रहता सबके अंदर ईश्वर प्रभु परमात्मा का ही नूर नजर आने लगता है।


कहा कि मनुष्य के जीवन में अनेक अनेक प्रश्न होते हैं जबकि सब प्रश्नों का उत्तर सत्संग में मिल जाएगा, यहां तक कि कुछ दिन सत्संग करने से यह प्रश्न ही समाप्त हो जाते हैं यह मन इस परमात्मा के साथ जुड़कर निर्विकार हो जाता है और मन परमात्मा के साथ जुड़ जाता है।

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