डोईवाला: उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरोध में आज स्थानीय क्षेत्रवासियों ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा।
एडवोकेट वीरेंद्र सिंह ने कहा की उच्चतम न्यायालय द्वारा 01 अगस्त 2024 को दिए गए निर्णय जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण में उप-वर्गीकरण, मलाईदार परत की अवधारणा और अनुसूचियों में बदलाव करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया है ।
इस निर्णय के प्रतिकूल हम अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए आपसे उपरोक्त वर्णित माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर रोक लगवाना चाहते हैं।
यह कि उपरोक्त वर्णित निर्णय के लागू होने से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति की उपजातियों में आपसी कटु मतभेद की भावना जन्म ले सकती है जिससे सामाजिक वैमनष्यता की भावना जन्म लेगी है जो कि सामाजिक और राष्ट्र हित में नहीं है।
यह कि यह निर्णय असंवैधानिक है क्योंकि उच्चतम न्यायालय को भारत के संविधान के उपबन्धों के अधीन किसी भी प्रकार संवैधानिक संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है । बल्कि उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय भारत के संविधान के अनुच्छेद 140,309,13,14, 15, 16,19,335, 341,342,342क आदि का उल्लंघन है।
सुरेंद्र सिंह खालसा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस उप-वर्गीकरण, मलाईदार परत के असंवैधानिक निर्णय को तत्काल प्रभाव से निष्प्रभावी किया जाना सामाजिक एवं न्याय हित में है।